9/25/16

Funny kahani हाथी मेरे साथी

हाथी मेरे साथी

एक महावत था जिसका एक हाथी काफी बुढा हो गया था . 
महावत ने सोचा अब ये किसी काम का नहीं है , अगर इसे अभी नहीं बेचा तो इसका कोई दाम नहीं मिलेगा . ऐसा सोचकर वो उसे गाँव के पशु मेले में ले आया . 
उसने हाथी को खूब साफ़ करके उसपर खूब सारा काला रंग और तेल लगा दिया . ये सब करने से हाथी जवान लगने लगा . 
मेले में दूर दूर से लोग उस हाथी को देखने आते . कुछ रईश लोग उसको लेने के लिए भी उत्सुक दिखे . 
महावत को अपनी तरकीब काम करती नज़र आ रही थी . 

एक दिन हकीरा भी मेले में पहुचा . वो हाथी देखेते ही अपनी भौ सिकोड़ के खड़ा हो गया . वो हाथी को कभी आगे से कभी पीछे से देखता . महावत का तो जी आधा हो गया . उसको लगा - लगता हैं इस आदमी को पता चल गया है की हाथी बुढा है . 

महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने एक सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला - “चलो चलो ! रख लो .. और जाओ यहाँ से .. “ 
हकीरा ने कहा - “परन्तु मैं ये कह रहा था कि …” 
महावत ने जल्दी से उसे वहा से और दूर ले जाके कहा - “हो गया ! जाओ भी ..” 

हकीरा वहा से चला गया . 

महावत ने पता लगाया तो पता चला की हकीरा उस गाँव का सबसे बुद्धिमान आदमी हैं . 

दुसरे दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से 
. महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने इस बार पांच सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला - “अरे भाई ! कोई बात नहीं … जाओ यहाँ से .. “ 
हकीरा कुछ कह पाता इसके पहले महावत ने उसे वहाँ से दूर कर दिया . 

अगले दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से . 
महावत को बड़ा गुस्सा आया . 
महावत (सबके सामने चिल्लाते हुए ) - क्या है ? क्या पता कर लिए तुम इस हाथी के बारे में ? 
हल्ला गुल्ला सुन के लोगो की भीड़ लग गयी . 
हकीरा - अरे जनाब मैं ये कह रहा था की इसका … 
महावत (और जोर से चिल्लाते हुए ) - इसका क्या ? क्या इसका ? तुम यह कैसे कह सकते हो की ये हाथी बुढा है? 
हकीरा - ऐसा है की .. मैं समझ नहीं पा रहा …. 
महावत - अरे क्या समझ गए … क्या नहीं समझ पा रहे .. चलो मैंने माना की ये हाथी बुढा और बेकार है .. तो क्या … जाओ यार तुम्हारे गाँव में मुझे सौदा ही नहीं करना .. 
लोगो के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रही . लोगो में कानाफूसी शुरू हो गयी . 

हकीरा - मेरी बात तो सुनिए … 
महावत (सर पर हाथ रख के बैठ गया ) - जाओ यहाँ से यार . मैं माँ गया तुम बहुत बुद्धिमान हो .. 
हकीरा - मेरी बात तो सुनिए … 
महावत - बोलो भाई ! बोलो ! 
हकीरा - मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की इस जानवर की पूँछ आगे है या पीछे .. 

महावत दीवाल पर सर पटकने लगा . 

हकीरा ने पीछे से बोला - और हाँ . इसका मुंह तो है ही नहीं ?? 

महावत ने पलट के देखा और जोर से रोने लगा !!